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पितृ पक्ष में करें ये आसान उपाय। मिलेगा पित्रों का आशीर्वाद

Acharya Ashish Jaiprakash
पितृ पक्ष में करें ये आसान उपाय। मिलेगा पित्रों का आशीर्वाद

पितृ पक्ष में जरूर करें ये विशेष उपाय

पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार होता है जो पितरों की आत्माओं की स्मृति और उनकी पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार सितंबर या अक्टूबर में आता है। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। यह मान्यता है कि इस पक्ष में पितर पृथ्वी पर आकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

पितृ पक्ष की तिथि

पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी  श्राद्ध किया जाता है । पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को जल देने का विधान है। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू होगा और इसका समापन 14 अक्टूबर 2023 को होगा।

2023 में देरी से शुरू होंगे पितृ पक्ष

पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस्‍या तक चलते हैं। इसे सर्व पितृ अमावस्‍या कहते हैं।  अधिक मास की वजह से इस साल सावन दो महीने का है। इसकी वजह से सभी व्रत-त्‍योहार 12 से 15 दिन देरी से पड़ेंगे। आमतौर पर पितृ पक्ष सितंबर में समाप्‍त हो जाते हैं लेकिन इस साल पितृ पक्ष सितंबर के आखिर में शुरू होंगे और अक्‍टूबर के मध्‍य तक चलेंगे।

इस पितृ पक्ष में दूर करें अपनी कुंडली से पितृ दोष

हम सभी की कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की बदलती दशा और दिशा, दोनों के कारण पितृ दोष का निर्माण होना संभव है। तो चलिए सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि कुंडली में पितृ दोष का निर्माण कैसे होता है। ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य और राहू की युति बन रही हो तो पितृ दोष बनता है। इसके अलावा कुंडली में जब सूर्य राहु का दृष्टि संबद्ध हो तब भी पितृ दोष माना जाता है। सूर्य तथा राहू जातकों की कुंडली के जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष एक ऐसा दोष है, जो सब दुखों को एक साथ देने की क्षमता रखता है। यदि कुंडली के पितृ दोष का निवारण न किया जाये तो यह दोष पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहता है। इसलिए पितृ पक्ष में पूर्वजों की पूजा पूरी श्रद्धा और सभी नियमों के पालन के साथ करने की सलाह दी जाती है।

पितृ पक्ष में कैसे करनी चाहिए पूजा?

सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है।  ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सके। जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है।  पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते है और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं. पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है।

पितरों को प्रसन्न करने के आसान उपाय

घर में अपने पितरों की ऐसी तस्वीर लगायें जिसमें वे हंसते मुस्कराते हों। ऐसा करने से पितर खुश रहते हैं। पितरों की तस्वीर लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह तस्वीर घर की दक्षिण-पश्चिम दीवार या कोने में लगाएं। पितरों की प्रसन्नता से घर में शांति बनी रहती है।
अगर आप आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इस सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को खीर का भोग लगाएं। उन्हें दूध और चावल से बनी खीर और पूरी अर्पित करें। यदि भोजन चांदी के बर्तन में परोसा जाए तो ज्यादा शुभ होगा।
पितरों को खीर-पूरी चढ़ाने के बाद 21 कन्याओं और सात बालकों को खीर-पूरी खिलाएं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर में धन-धान्य आता है। इससे परिवार के लोगों की आय के स्त्रोत भी बढ़ता है।
जॉब या व्यापार में सफलता पाने के लिए पितृ अमावस्या के दिन कच्चा दूध, दो लौंग, थोड़े बताशे और काला तिल चढ़ाएं। ऐसा करने से आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
पितृ अमावस्या के दिन बबूल के पेड़ के नीचे पितरों के लिए भोजन रखने से पूर्वज खुश होते हैं। इससे बुरी नजर से भी बचाव होता है।
अगर किसी की शादी नहीं हो रही है, बार-बार रिश्ता टूट रहा हो तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए पितृ पक्ष में नारियल का टोटका अपनाएं। इसके तहत चीटियों के बिल के पास तीन नारियल के गोले जमीन में दबा दें, इससे परेशानी दूर हो जाएगी।
अगर आपका कोई काम नहीं बन रहा है या कोई मनोकामना अधूरी है तो आप पितृ पक्ष पर इसके लिए उपाय कर सकते हैं। इसके तहत आपको सवा पाव कच्चा दूध लेकर नीम, पीपल और बरगद की त्रिवेणी में अर्पित करना होगा। दूध चढ़ाने के बाद वृक्ष की सात बार परिक्रमा करनी होगी। इस दौरान आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पितृ पक्ष में रोजाना पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों को याद करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
कुंडली में पितृ दोष को दूर करने के लिए पितृ पक्ष के दौरान सोमवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद नंगे पैर शिव मंदिर में जाना चाहिए और शिवलिंग पर आर्क के 21 पुष्प, कच्चा दूध और बिल्वपत्र चढ़ाना चाहिए। 
अगर घर में कोई काफी बीमार है तो आप पितृ पक्ष की चतुर्दशी के दिन रोगी के सिरहाने एक लाल पोटली रख दें। थैले में 100 ग्राम गेहूं के दानों के साथ एक रुपए का सिक्का और एक कील बांधकर रख दें। अब अगले दिन सुबह इस पोटली को पीपल के वृक्ष की जड़ में गाड़ दें। आते समय किसी से कुछ बोले न। ऐसा करने से जल्द ही स्वास्थ लाभ होगा।

इस पितृ पक्ष में करें तुलसी के पौधे के साथ यह ख़ास उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी के इस उपाय को करने से हमारे पूर्वज प्रसन्न होते हैं, और इस उपाय को करने से श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के बराबर फल प्राप्त होता है। तुलसी के उपाय को पितृपक्ष के 16 दिनों की अवधि में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन इस बीच ध्यान रखें की एकादशी और रविवार नहीं पड़ रहे हों।

शिव पुराण में बताया गया है कि श्राद्ध पक्ष में घर का कोई भी सदस्य तुलसी का उपाय कर सकता है। इसके लिए तुलसी के गमले के पास एक कटोरी रख दें। इसके बाद हथेली में गंगाजल लेकर 5 या 7 बार अपने पितरों के नाम का स्मरण करें, साथ ही बाबा विश्वनाथ का नाम लेकर धीरे-धीरे गंगाजल को छोड़ दें। हाथ जोड़कर माता तुलसी और पितरों का मनन कर लें। इस गंगाजल को आप किसी पौधे में डाल सकते हैं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो समाप्त होगी, साथ ही यह उपाय को करने से पितरों के तर्पण और पिंडदान की जरूरत नहीं पड़ेगी।

पितृ पक्ष में भूल कर भी न करें यह काम

पितृपक्ष में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करनी चाहिए. शादी,मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य पितृपक्ष में वर्जित माने जाते हैं। पितृपक्ष के दौरान शोकाकुल का माहौल होता है इसलिए इन दिनों कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है।
पितृपक्ष के दौरान पूरे 15 दिनों तक घर में सात्विक माहौल होना चाहिए। इस दौरान घर में मांसाहारी भोजन नहीं बनाना चाहिए, हो सके तो इन दिनों लहसुन और प्याज का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
पितृपक्ष में श्राद्धकर्म करने वाले व्यक्ति को पूरे 15 दिनों तक बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। साथ ही इन लोगों को ब्रह्माचार्य का पालन भी करना चाहिए।
मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पूर्वज पक्षी के रूप में धरती पर आते हैं। इसलिए उन्हें सताना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पूर्वज नाराज हो जाते हैं बल्कि पितृपक्ष में पशु-पक्षियों की सेवा करनी चाहिए। 
पितृपक्ष के दौरान न सिर्फ मांसाहारी बल्कि कुछ शाकाहारी चीजों को खाना भी वर्जित है। इन दिनों में लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग ना खाने की सलाह दी जाती है।

श्राद्ध की तिथियां (साल 2023)

29 सितंबर - पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर - प्रतिपदा श्राद्ध , द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर - तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर - चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर - पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर - षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर - सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर - अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर - नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर - दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर - एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर - द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर - त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर - चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर - सर्व पितृ अमावस्या

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