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वैदिक ज्योतिष शास्त्र और नवग्रह शांति के मूल सिद्धांत और उपाय

Acharya Ashish Jaiprakash
वैदिक ज्योतिष शास्त्र  और नवग्रह शांति के मूल सिद्धांत और उपाय

वैदिक ज्योतिष शास्त्र का मूल सिद्धांत यह दर्शाता है कि पूरी सृष्टि की सभी चीजें जिन्हें हम देख,सुन,सूंघ और महसूस कर सकते हैं।वह सभी आपस में किसी न किसी माध्यम से जुड़ी हुई हैं। यह सभी चीजें एक-दूसरे पर किसी न

 किसी ढंग से अपना प्रभाव डालती ही हैं। इसके साथ ही हर एक ग्रह की ऊर्जा और गति भी हमारे पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित करती है 

और यह हर एक इंसान के जीवन पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालती है।                                                                                    

क्या आपको इस बात की जानकारी है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारी जन्मकुंडली में जब कोई भी ग्रह पीड़ित या कमजोर स्थिति में मौजूद होते है 

तो इसका प्रभाव हमारी रोजमर्रा की जिंदगी और हमारी,तरक्की पर काफी अहम हो जाता है इसलिए जीवन जीने का सबसे सरल तरीका है दूसरों के साथ प्रेम और सौहार्द से रहें और अपने आस-पास की प्राकृतिक चीजों को प्यार करें।

इस मामले में ज्योतिष शास्त्र में कई सारे अहम उपाय बताए गए हैं और इन्हें कई बार आजमाया भी गया है यह उपाय पूरी तरह से कारगर हैं।इससे न सिर्फ आपकी कुंडली में कमजोर ग्रह के नकारात्मक प्रभाव कम होते है,
बल्कि यह आपके लिए उन पीड़ित ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव के रास्ते भी खोल देते हैं। मूल ज्योतिष शास्त्र में जितने भी उपाय बताए गए हैं वह सभी बेहद आसान हैं और बिल्कुल ही मुफ्त हैं। उदाहरण के तौर पर बात करें तो

पीड़ित ग्रहों को बेहतर करने के लिए सबसे सरल उपाय है प्राणायम। प्रतिदिन प्राणायाम करने से आपके अंदर प्राण और जीवन शक्ति की ऊर्जा का प्रवाह विकसित होता है। इससे आपको शारिरिक और मानसिक शांति को संतुलित करने में मदद मिलती है।

इसके अलावा एक और सरल उपाय है सूर्य को जल देना। सूर्य को ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है और मान्यता के अनुसार सुबह के वक्त सूर्य की ऊर्जा आपके मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करती है। इसके साथ ही आपके अंदर प्रकृति को लेकर कृतज्ञता का भाव भी विकसित होता है। हमारे समाज में कई सारे लोग आज भी व्रत और उपवास की शक्ति और हमारी चेतना पर इसके प्रभाव को नहीं समझते हैं। 

व्रत और उपवास न सिर्फ आपको अपने मन और शरीर को नियंत्रित करने में मददगार होता है। बल्कि इससे आपके अंदर आत्म नियंत्रण और भौतिक सुखों से वैराग्य का भाव भी पैदा करता है। गरीबों और जानवरों को भोजन देना भी बेहद पुण्य का काम माना जाता है।इससे हमारे अंदर दया और उदारता का भाव पैदा होता है। आप यह तो समझ ही गए होंगे कि इन सभी उपायों में कुछ भी अप्राकृतिक नहीं है असल मे यह सभी उपाय आपको प्रकृति के करीब ले जाते हैं और आपके मन शरीर और आत्मा को संतुलित करते हैं।

आइए अब हम प्रत्येक ग्रह के लिए पौराणिक वैदिक ज्योतिष में सुझाए गए कुछ आसान उपायों के बारे में बात करते हैं। इन आसान उपायों की मदद से आपको न सिर्फ पीड़ित ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है

बल्कि इससे आपको जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में आंतरिक शक्ति खुशी और सफलता हासिल हो सकती है। पीड़ित चंद्रमा के कारण आपके अंदर भावनात्मक अस्थिरता मूड में बदलाव और पाचन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।चंद्रमा को मजबूत करके हम भावनात्मक कल्याण स्थिरता और बेहतर पाचन स्वास्थ्य का अनुभव कर सकते हैं। हमारी कुंडली में सूर्य के कमजोर होने से आत्मविश्वास में कमी करियर के विकास में बाधा और नज़र कमजोर हो सकती है। 

सूर्य को मजबूत करने से आत्म-सम्मान बढ़ता है करियर के अवसर बढ़ते हैं और आंखों की रोशनी में सुधार होता है। मंगल के पीड़ित होने से क्रोध आवेग और संघर्ष की परेशानी महसूस हो सकती है। मंगल को मजबूत करने से आपको क्रोध को नियंत्रित करने धैर्य को बढ़ावा देने और अपनी ऊर्जा को सकारात्मक और उत्पादक तरीके से इस्तेमाल करने में मदद मिलती है।

बुध के पीड़ित होने से जातकों को जीवन में संचार संबंधी समस्याएं सीखने में कठिनाइयां और मानसिक तनाव हो सकता है। बुध को मजबूत करने से संचार कौशल में सुधार होता है सीखने की क्षमता बढ़ती है और मानसिक स्पष्टता आती है।

पीड़ित बृहस्पति के कारण आपको जीवन में वित्तीय अस्थिरता अवसरों की कमी और व्यक्तिगत विकास में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। बृहस्पति का मजबूत होना प्रचुरता को आमंत्रित करता है अवसर प्रदान करता है और व्यक्तिगत विकास में सहायता करता है।

शुक्र के पीड़ित होने से रिश्ते में समस्याएं सौहार्द की कमी और अत्यधिक भोग,विलास हो सकता है। शुक्र को मजबूत करने से स्वस्थ रिश्तों को बढ़ावा मिलता है संतुलन को बढ़ावा मिलता है और सुंदरता के प्रति प्रशंसा बढ़ती है।

जब शनि पीड़ित होता है तो यह जीवन के अलगअलग कार्यों में देरी बाधाएं और भारीपन की भावना पैदा हो सकती है। शनि को मजबूत करने से बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है स्थिरता आती है और अनुशासन और धैर्य पैदा होता है।

राहु के पीड़ित होने से भौतिक इच्छाओं भ्रामक सोच और बुराइयों में लिप्त होने की प्रवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। राहु के मजबूत होने से हमें आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने अनुशासन विकसित करने और भौतिकवादी प्रवृत्तियों पर काबू पाने में मदद मिलती है।

केतु के पीड़ित होने से जातकों को जीवन में भ्रम दिशा की कमी और सांसारिक मामलों से वैराग्य की भावना पैदा हो सकती है। केतु को मजबूत करने से हमें आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने अपने जीवन का उद्देश्य खोजने
और अपने आस-पास की दुनिया के साथ जुड़ाव की भावना का अनुभव करने में मदद मिलती है।

 

Click here to watch the video (English) :  Secrets of Navgrahas

Click here to watch the video (Hindi):  Secrets of Navgrahas

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