• Home
  • Blog
  • शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए किस्मत बदलने वाला ज्योतिषीय विश्लेषण

शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए किस्मत बदलने वाला ज्योतिषीय विश्लेषण

Acharya Ashish Jaiprakash
शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए किस्मत बदलने वाला ज्योतिषीय विश्लेषण

कैसे पाएं वैदिक ज्योतिष से वित्तीय सफलता ?

कौन है जिनको नहीं करना चाहिए शेयर मार्केट में निवेश  ?

मित्रों भौतिक जगत “ कारण “ और उसके “ प्रभाव की “ एक रहस्यमई श्रृंखला है और हमारे ब्रह्मांड में विद्यमान सभी ग्रह , नक्षत्र ,  सूर्य , चंद्रमा, पृथ्वी , आकाशगंगा इसी श्रृंखला का एक हिस्सा है और हमारे ब्रह्मांड में होने वाली हर एक घटना ,  वह चाहे कहीं भी हो रही हो | हमारे भौतिक जगत मैं विद्यमान सभी शक्तियों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालती है | इन्हीं आकाशीय शक्तियों के प्रभावों की गणना से वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों का निर्माण हुआ है | आज हम वैदिक ज्योतिष की एक शाखा जिसे वित्तीय ज्योतिष या फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजी भी कहते हैं, के बारे में बात करेंगे | हम जानने की कोशिश करेंगे की क्या वैदिक ज्योतिष की सहायता से हमारी वित्तीय सफलता या असफलता के बारे में जानकारी मिल सकती है ?

हम जानने की कोशिश करेंगे कि क्या ज्योतिषीय गणनाओं की सहायता से यह जानना संभव है कि किसी की कुंडली में अचानक धन वर्षा के योग हैं या नहीं या कौन है जिनका नहीं करना चाहिए शेयर मार्केट में निवेश और वह क्या है जो किसी भी मनुष्य को वित्तीय मामलों में सफल या असफल बनता है ?

शेयर बाजार एक ऐसी जगह , जहां हर रोज किस्मत बनती है और बिगड़ती है | हर रोज दुनिया भर में  करोड़ों लोग शेयर मार्केट में अपनी किस्मत आजमाते हैं , पर बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जो इस दुनिया में अपनी सफलता का परचम लहरा पाते हैं /बहुत कम ही लोग जैसी लीवरमोर , वारेन बुफेट और स्टीव कोहेन बन पाते हैं , पर  क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है ? इन लोगों में ऐसी क्या खास बात है जो इन्हें दूसरे लोगों से अलग बनाती है ?

इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के इस युग में जानकारी का कोई अभाव नहीं है, लेकिन ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोग सारी जानकारी होने के बावजूद सफल नहीं हो पाते हैं और कुछ बड़ी आसानी से स्टॉक मार्केट में या शेयर ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त कर लेते हैं ?

कहीं कुछ ऐसा तो नहीं जो हमें पता ही नहीं  ?

कोई ऐसा रहस्य जो किसी मनुष्य को सफलता दिलवा देता है और किसी को बहुत प्रयासों के बाद भी सफल नहीं होने देता |

यह सब कुछ यूं ही होता है या इन सभी चीजों के पीछे कोई शक्ति है , कोई गणित है , कोई ऐसा विज्ञान जिसकी जानकारी इस विषय पर हमारे सभी धारणाओं को हमेशा के लिए बदल सकती है

आज से हजारों साल पहले प्राचीन भारत में कुछ ऐसे ऋषि मुनि हुए जीने अपने ध्यान की अवस्था में इस सत्य का आभास हुआ कि पृथ्वी पर होने वाली सभी घटनाओं पर ब्रह्मांड में विद्यमान आकाशीय शक्तियों का किसी न किसी रूप से प्रभाव होता है | कोई ऐसी शक्ति है जो ब्रह्मांड में उपस्थित सभी ग्रहों नक्षत्रों और आकाशीय पिंडों को एक सूत्र में बांधे रखती है | हमारे ब्रह्मांड में सभी ग्रह नक्षत्र और आकाशीय पिंड एक निश्चित गति से भ्रमण करते हैं और सभी एक दूसरे से परस्पर दूरी बनाए हुए रखने के बावजूद भी एक दूसरे को प्रभावित करते हैं|

हमारे सौरमंडल का केंद्र सूर्य को माना गया है और सूर्य इस पृथ्वी पर सभी जीवो में प्राण शक्ति का संचार करता है |सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर वनस्पति जगत या प्राणी जगत में ऊर्जा का संचार होता है , सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन एक क्षण के लिए भी संभव नहीं है | ठीक उसी प्रकार चंद्रमा पृथ्वी पर उपस्थित जल तत्व को नियंत्रित करता है | चंद्रमा ही पृथ्वी पर समुद्र में होने वाले ज्वार भाटा को नियंत्रित करता है और ठीक उसी प्रकार किसी भी तत्व में उपस्थित जल को भी चंद्रमा ही प्रभावित करता है | मानव शरीर में उपस्थित जल न सिर्फ हमारी शारीरिक संरचना के लिए जरूरी है बल्कि यह जल तत्व ही मानव शरीर में विचारों को नियंत्रित करने वाली शक्ति है और चंद्रमा इस जल तत्व का नियंत्रण करता है | हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों की इसी जिज्ञासा ने उन्हें प्रेरित किया कि वह आकाशीय पिंडों का अवलोकन करें और उनकी गति और ऊर्जा और गुरुत्वाकर्षण शक्तियों से पृथ्वी पर उपस्थित जीवन पर क्या प्रभाव हो इसका गहन अध्ययन करें | उनके इसी गहन अध्ययन ने वैदिक ज्योतिष का निर्माण किया और वैदिक ज्योतिष की पहली शाखा को हम गणितीय ज्योतिष के नाम से जानते हैं |

सैकड़ो वर्षों की गहन तपस्या के बाद में इसी गणितीय ज्योतिष से पहले पंचांग का निर्माण हुआ | पंचांग जिसकी सहायता से हम यह जान सकते हैं कि ग्रहों की गति किस प्रकार होने वाली है और उसी से दिन , महीने,  तिथि वार की सटीक गणना संभव हो सकी|

और गणितीय ज्योतिष की मदद से ही हम यह जान सके कि किस प्रकार यह ग्रह - नक्षत्र इस ब्रह्मांड में भ्रमण करते हैं और किस प्रकार उनकी ऊर्जा और गुरुत्वाकर्षण शक्तियों का पृथ्वी पर हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है |

हमारे सौरमंडल के विषय में ऋषियों के इसी ज्ञान से वैदिक ज्योतिष का निर्माण हुआ और वैदिक ज्योतिष समृद्ध हुआ और एक समय ऐसा आया जब हमारे ऋषि मुनि अपने इसी ज्ञान से यह जान पाए कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाले सभी जीव जंतु जिसमें मनुष्य भी शामिल है, एक निश्चित समय , कॉल और परिस्थिति में जन्म लेते हैं और  और यह विशेष परिस्थितियों उनके जीवन को एक विशेष रूप से प्रभावित करती है | किसी भी मनुष्य के जन्म के समय की परिस्थितियों के अध्ययन से जातक की कुंडली का निर्माण होता है और जिसके विश्लेषण से  मनुष्य के भविष्य के जीवन के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है |

वैदिक ज्योतिष में किसी भी मनुष्य के भविष्य के बारे में अनुमान लगाने के लिए सबसे पहले उसकी जन्म कुंडली का निर्माण किया जाता है |जन्म कुंडली  की सटीक गणना के लिए   जातक की जन्म स्थान , जन्म के समय और जन्म की तिथि की जानकारी अत्यंत आवश्यक है | जन्म कुंडली सामान्यतः एक आयताकार चित्र होता है जिसे 12 खंड में विभाजित किया जाता है, हर एक खंड को घर या भाव कहा जाता है और जन्म कुंडली के यह 12 भाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के नियमों के आधार पर बनाए जाते हैं जिसमें ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों को दर्शाया जाता है |  उदाहरण के लिए जन्म कुंडली का प्रथम भाव जिसे लग्न भी कहा जाता है ,जातक की शारीरिक बनावट या रूपरेखा के बारे में जानकारी देता है |ठीक उसी प्रकार कुंडली में स्थित सातवां घर जातक के जीवनसाथी के या पार्टनर के बारे में जानकारी देता है |

हमने अब तक यह समझने की कोशिश कि और इस बात की रूपरेखा रखी है कि किस प्रकार ज्योतिष के द्वारा जीवन के विभिन्न पहलुओं को जाना जा सकता है और इसके पीछे का विज्ञान क्या है |

अब हम हमारे मूल विषय पर लौटते हैं और हमारा मूल विषय यह जानना है कि क्या ज्योतिष हमारे वित्तीय संभावनाओं के बारे में जानकारी दे सकता है या नहीं ? और अगर वह जानकारी दे सकता है तो उसका आधार और उसके पीछे का विज्ञान क्या है ?

वह क्या है इसके अध्ययन से हमें सटीक रूप से इस बात की जानकारी मिल जाती है की जातक शेयर मार्केट ट्रेडिंग या वित्तीय मामलों में सफल होगा या नहीं होगा |

हमने देखा है की कुंडली के विभिन्न भाव उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी देते हैं  | उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए हम जानेंगे कि जातक की कुंडली का पांचवा घर उसकी वित्तीय क्षमताओं को उजागर करता है, और पांचवें घर का गहन विश्लेषण या पांचवें घर के गृह स्वामी की स्थिति से हमें उसे जातक के वित्तीय क्षमताओं और संभावनाओं का पता लग सकता है | कुंडली में स्थित पांचवा घर विशेष रूप से स्टॉक ट्रेडिंग और शेयर मार्केट में सफलता या असफलता को दर्शाता है | पांचवें ग्रह की जानकारी से शेयर मार्केट में आपकी सफलता की संभावनाओं को समझने में बहुत मदद मिलती है | अब आपको यह उत्सुकता हो रही होगी कि पांचवें घर में ऐसा क्या है? क्या है जो शेयर बाजार से या दूसरे वित्तीय कारोबार से हमारी सफलता की संभावनाओं की गणना कर सकता है  ? आईए समझते हैं|

सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि शेयर बाजार या स्टॉक ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करने के मुख्य कारक क्या है ?

शेयर मार्केट में सफलता प्राप्त करने के मुख्य पांच कारक यह हैं

व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता   (Decision Making Ability)

जोखिम लेने की क्षमता   (Risk Taking Ability)

आत्मज्ञान    (Intuitive Power)
व्यक्ति की विश्लेषणात्मक क्षमत   (Analytical Ability)

बाजार ज्ञान   (Knowledge of the Market) 

वैदिक ज्योतिष में , पंचम भाव  या पांचवा घर किसी भी व्यक्ति की इन्हीं मानसिक चारित्रिक और व्यक्तिगत विशेषताओं को प्रकट करता है | वैदिक ज्योतिष में 5वां घर, पारंपरिक रूप से एक त्रिकोण घर है , जो की मनुष्य की रचनात्मकता और बुद्धिमत्ता से जुड़ा हुआ। और मनुष्य के इस क्षमताओं का असर जीवन के कई क्षेत्रों में होता है विशेष रूप से स्टॉक ट्रेडिंग निवेश और वित्तीय मामलों में  | एक मजबूत 5वां घर किसी व्यक्ति की ठीक-ठाक अनुमान  लगाने की क्षमताओं को भी दर्शाता है | एक मजबूत पांचवा घर या पंचमेश वित्तीय जोखिमों को समझने और सही निर्णय लेने में मदद करता है |

सटीक ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमें यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि पंचम स्थान का विश्लेषण के अतिरिक्त और भी कई ऐसे पहलू हैं जिनकी गणना करना अत्यंत आवश्यक है | जैसे कि पांचवें स्थान का स्वामी यानी कि पंचमेश पंचमेश कौनसे भाव में , किस स्थिति में और कितनी शक्तियों के साथ में विद्यमान है यह भी अत्यंत आवश्यक है / पंचमेश कौन से ग्रहों के साथ में और कौन से गृह स्वामियों के साथ में युति कर रहा है इसका विश्लेषण भी अत्यंत आवश्यक है | उदाहरण के लिए अगर पंचमेश स्वग्रही , मूल त्रिकोण में या उच्च अवस्था में अगर है तो यह वित्तीय सफलताओं के लिए अनुकूल स्थितियों का निर्माण करता है | पंचमेश अगर द्वितीय , पंचम, अष्टमेश , नवम या 11वें भाव में  स्थित है तो यह भी वित्तीय सफलताओं के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करता है | कुछ राशियों के लिए कुछ विशेष ग्रहों की पंचम स्थान में उपस्थिति बहुत ही शक्तिशाली वित्तीय संभावनाओं को जन्म देती है| उदाहरण के लिए

मिथुन लग्न वालों को पंचम भाव में शुक्र और शनि की उपस्थिति से विशेष वित्तीय लाभ होता है

सिंह लग्न वालों द्वितीय और पंचम स्थान पर बृहस्पति और बुध की युति से विशेष वित्तीय लाभ होता है 

वृषभ राशि के लिए पंचम स्थान में बुध और गुरु की उपस्थिति लाभदायक होती है

कुंभ राशि के लिए द्वितीय स्थान में गुरु शुक्र और बुध की युति अत्यंत लाभदायक होती है

तो प्रिय मित्रों अब आप भी यह जानते हैं कि वैदिक ज्योतिष के नियमों के अनुसार पांचवा घर और उसके स्वामी को समझना आपको अति मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है, और इस ज्ञान और अंतर्दृष्टि की सहायता से आप बड़ी आसानी से यह जान सकते हैं कि क्या आपको स्टॉक ट्रेडिंग या शेयर मार्केट में सफलता मिलेगी या नहीं और अगर मिलेगी तो वह सफलता कितनी बड़ी हो सकती है |

एक वैदिक ज्योतिष होने के नाते आपको यह बताना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि आप ज्योतिष की मदद से अपने जीवन के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं परंतु इसके साथ ही अगर आप स्टॉक ट्रेडिंग या शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं उसके लिए बाजार की समझ और जोखिम का मूल्यांकन करने की आपकी क्षमता का मूल्यांकन भी अत्यंत आवश्यक है | इसके अतिरिक्त यह भी बताना चाहूंगा की  प्रमाणिक ज्योतिष ज्ञान  के अभाव में ज्यादातर ज्योतिष इन विषयों पर सटीक गणना करने में असमर्थ होते हैं इसीलिए वित्तीय मामलों में या किसी और मामलों में किसी भी ज्योतिषी से सलाह के लिए आपको यह जानना भी जरूरी है कि वह ज्योतिष जिससे आप बात कर रहे हैं वह प्रमाणिक है या नहीं|

Watch Full Video: किसको नहीं करना चाहिए शेयर मार्किट में निवेश

Consult Astrologers

View All

Our Services

View All

Latest From Blog

View All